निश्चित हड़ताल Vs अनिश्चतकालीन हड़ताल: कहीं कमजोर तो नहीं कर देगी कर्मचारियों-शिक्षकों की एकता…दो धड़े में बंटे कर्मचारियों से बढ़ा कंफ्यूजन….नेतृत्वकर्ताओं की अपनी दलील- अपने तर्क…
बिलासपुर 24 जुलाई 2022। DA और HRA के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ में कल से महासंग्राम होने वाला है. स्कूल, कालेज और दफ्तर तो छोड़िये कई अस्पतालों में भी ताले लटकने वाले हैं। बेशक DA और HRA को लेकर कर्मचारियों की लड़ाई काफी बड़ी है, लेकिन निश्चित आंदोलन बनाम अनिश्चित आंदोलन के कंफ्यूजन से कर्मचारियों की ये लड़ाई थोड़ी कमजोर भी दिख रही है।दरअसल DA और HRA के एक ही मुद्दे पर कर्मचारी और अधिकारी वर्ग आपस में बंटे हुए हैं। एक खेमा 25 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतर रहा है, तो वहीं दूसरा खेमा 25 से 29 जुलाई तक आंदोलन पर है।
इस निश्चित बनाम अनिश्चित आंदोलन की वजह से कर्मचारियों की एकजुटता खंडित दिख रही है। लिहाजा सोशल मीडिया पर कर्मचारी वर्ग आपस में ही इन सवालों में उलझे हैं कि वो संगठन क्यों निश्चित आंदोलन कर रहा है, वो संगठन क्यों अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।
दरअसल DA-HRA के मुद्दे पर सबसे पहले आंदोलन का आह्वान प्रदेश के सबसे बड़े संगठन कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने किया था। 29 जून के आंदोलन के बाद ही फेडरेशन ने ये आह्वान किया था कि वो अगली बार 5 दिवसीय हड़ताल करेंगे। फेडरेशन के इस आह्वान का असर ये हुआ कि कई बड़े संगठन ने भी डीए और एचआरए के मुद्दे पर आंदोलन का ऐलान कर दिया। हालांकि इनमें से आधा संगठन 25 से 29 जुलाई के निश्चितकालीन हड़ताल के साथ खड़ा है, तो वहीं दूसरी ओर 25 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल की भी एक खेमा ने घोषणा कर दिया है। ऐसे में जो संगठन से जुड़े शिक्षक व कर्मचारी हैं, वो तो संगठन के नियम के मुताबिक निश्चित और अनिश्चित आंदोलन के साथ है, लेकिन वो शिक्षक व कर्मचारी जो किसी भी संगठन के साथ नहीं है, वो फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि वो करें तो क्या करें।
जहां अनिश्चितकालीन हड़ताल का सवाल है तो तीन शिक्षक संगठन टीचर्स एसोसिएशन, शालेय शिक्षक संघ और नवीन शिक्षक संघ ने एक मंच पर आकर अनिश्चतकालीन हड़ताल की घोषणा की है। वहीं दूसरी तरफ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के 5 दिवसीय आंदोलन को फेडरेशन से जुड़े सभी संगठनों का साथ तो मिला ही है, शिक्षक के सबसे बड़े संगठन सहायक शिक्षक फेडरेशन के अलावे सर्व शिक्षक संघ और टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन जैसे छोटे-बड़े संगठन का भी साथ मिला है।
ऐसे में एक ही मुद्दे पर दो धड़े में बंटे कर्मचारी-शिक्षकों की एकता पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि इस मुद्दे हर कर्मचारी संगठन की अलग-अलग दलील है। निश्चितकालीन आंदोलन पर नेतृत्वकर्ताओं का कहना है कि पहले ही 5 दिवसीय आंदोलन का आह्वान था, लिहाजा चरणबद्ध आंदोलन के मुताबिक ये आंदोलन किया जा रहा है। वैसे भी आंदोलन का इतिहास चरणबद्ध तरीके से ही बढ़ा है। दूसरी तरफ अनिश्चितकालीन हड़ताल का अगुवाई करने वाले नेतृत्वकर्ताओं की दलील है कि कर्मचारियों व शिक्षकों की मंशा के अनुरूप ही अनिश्चतकालीन आंदोलन का बिगुल फूंका गया है।
हर संगठन के अलग-अलग तर्क हैं और अलग-अलग दलील है। ऐसे में कर्मचारी- शिक्षकों की एकजुटता एक राय के साथ सड़क पर दिखती तो अंजाम कुछ ज्यादा बेहतर होता। फिलहाल सोमवार से शुरू होने वाले संग्राम पर हर किसी की नजर होगी।