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NW न्यूज 24 स्पेशल : दूरदर्शिता में मुख्यमंत्री का जवाब नहीं : गोबर से पेंट बनाने का आइडिया सुपरहिट…अब 25 जिलों के 37 गोठानों में तैयार होगी यूनिट..रोजगार के साथ बेहतर हो रहे आर्थिक हालात  

रायपुर 15 जनवरी 2023। वाकई में दूरदर्शिता में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कोई जवाब नहीं। मुख्यमंत्री के नरवा, गरुआ, घुरवा, बाड़ी के पीछे का मकसद अब मुक्कमल होता दिख रहा है। यूं तो चार साल में सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट ने कई मुकाम छुये, लेकिन हाल के दिनो में गोबर से नेचुरल पेंट बनाने के फैसले ने ना सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी, बल्कि रोजगार के बड़े रास्ते भी तैयार कर लिये। 10 जनवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना के तहत राशि का वितरण किया और इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि प्रदेश के 25 जिलों के 37 गौठानों में गोबर पेंट बनाने की 37 यूनिटें तैयार की जायेगी।

रायपुर, दुर्ग और कांकेर के यूनिट में निर्माण शुरू 

अभी मौजूदा वक्त में रायपुर और दुर्ग जिले में 2-2 और कांकेर में 1 प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट में उत्पादन चल रहा है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान बताया कि 8997 लीटर उत्पादित प्रकृतिक पेंट में से 3307 लीटर की बिक्री से 7 लाख 2 हजार 30 रुपए की आमदनी हुई। राजधानी के जरवाय गौठान गोवर्धन क्षेत्र स्तरीय महिला स्व सहायता समूह द्वारा लक्ष्मी ऑर्गेनिक संस्थान के सहयोग से बनाई जा रही है। इस समय इस गौठान में स्थापित यूनिट द्वारा प्रतिदिन 2 हजार लीटर इमल्शन पेंट बनाने की क्षमता है। जिसे भविष्य में मांग अनुरूप 5 हजार लीटर तक वृद्धि की जा रही है। यहां पर पुट्टी और डिस्टेंपर भी बनाई जा रही है। इस पेंट से राजधानी के नगर निगम मुख्यालय की इमारत जोन क्रमांक 8 की इमारत में पोताई की गई है। वहीं दुर्ग जिले के ग्राम लिटिया की ग्रामीण बहनें गांव में ही डिस्टेंपर निर्माण कर रही हैं। डिस्टेंपर यूनिट की निर्माण क्षमता हर दिन हजार लीटर तक की है। उन्होंने इसका विक्रय भी आरंभ कर दिया है। कांकेर जिले के चारामा विकासखण्ड के ग्राम सराधुननवागांव के गौठान में सागर महिला क्लस्टर समूह द्वारा गोबर से पेंट का निर्माण किया जा रहा है, जिससे महिला स्व-सहायता समूह को आमदनी भी हुई है।

बेस्ट क्वालिटी का इमल्शन और डिस्टेंपर हो रहा तैयार

गोबर का यूं तो सदियों से मिट्टी की दीवारों पर पुताई के लिए इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन अब इसकी चमक सीमेंट और कंक्रीट की दीवारों पर भी निखरकर आ  रही है। कई मायनों तो गोबर से बने पेंट मल्टीनेशनल कंपनियों के पेंट को भी टक्कर दे रहे हैं। गोबर से अब इमल्शन और डिस्टेंपर पेंट तैयार किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ की महिलाओं का बनाया गया पेंट मल्टी नेशनल कंपनियों को टक्कर दे रहा है। पेंट निर्माण में मल्टी नेशनल कंपनियों के एकाधिकार को गांवों की महिलाएं तोड़ रही हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे इस उच्च गुणवत्ता के पेंट को देखते हुए सभी शासकीय भवनों की पुताई कराने के निर्देश दिए हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा इसके लिए एसओआर भी जारी कर दिया गया है। 

नेचुरल पेंट एंटी बैक्टीरिया और एंटीफंगल

राजधानी रायपुर के जरवाय गौठान, दुर्ग जिले के गांव लिटिया और कांकेर के सराधुन नवागांव में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने का कार्य होता है। पेंट निर्माण में अमूमन मल्टी नेशनल कंपनियां ही काबिज थीं, लेकिन अब ग्रामीण महिलाएं भी इस क्षेत्र में मजबूती से कदम रख चुकी हैं। गोबर से बनने वाला प्राकृतिक पेंट बिल्कुल मल्टी नेशनल कंपनियों के द्वारा तैयार किए गए पेंट जैसा है। इसकी गुणवत्ता उच्च स्तरीय है, यह पेंट एंटी बैक्टीरिया और एंटीफंगल होता है। जरवाय गौठान में डिस्टेंपर, इमल्शन पेंट के साथ ही पुट्टी का भी निर्माण हो रहा है। इसकी बिक्री राजधानी रायपुर के सीजी मार्ट में की जा रही है। इसे जल्द ही विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध कराने की योजना है। यह पेंट मल्टी नेशनल कंपनी के पेंट की तुलना में 30 से 40 प्रतिशत सस्ता होने के साथ ही यह पर्यावरण के अनुकूल भी है।  गोबर से बने इस पेंट की कीमत बाजार में उपलब्ध प्रीमियम क्वालिटी के पेंट की तुलना में 30 से 40 फीसदी कम है। इमल्शन पेंट की कीमत 225 रूपए प्रति लीटर है। यह 1,2,4 और 10 लीटर के पैकेज में तैयार किया जा रहा है। साथ ही यह बड़ी कम्पनियों के पेंट की तरह करीब 4 हजार रंगों में भी उपलब्ध है। साथ ही पुट्टी डिस्टेंपर भी तैयार किया जा रहा है। 

गुणवत्ता में नेचुरल पेंट का कोई जोर नहीं

यह पेंट भारत सरकार की संस्था राष्ट्रीय प्रशिक्षण शाला के द्वारा प्रमाणित भी किया गया है। साथ ही इसके इसके विभिन्न प्रकार के गुण है यह एन्टी बैक्टीरिया, एंटीफंगल, इको-फ्रेंडली, नॉन टॉक्सिक है। यह भी वैज्ञानिक संस्थान द्वारा प्रमाणित है। इस प्राकृतिक पेंट में हैवी मटेरियल का उपयोग नही किया गया है और यह नेचुरल थर्मल इन्सुलेटर है अर्थात् इसमें चार से पांच डिग्री तापमान करने की क्षमता भी है। प्राकृतिक पेंट की तरफ अब लोगों का रुझान भी बढ़ रहा है, ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले वक्त में ये उत्पादन रोजगार के साथ-साथ उन्नति के भी नये रास्ते खोलेगा। मुख्यमंत्री भूपेश ने बताया कि 96 गौठनों में अब तक 1 लाख 15 हजार 423 लीटर गौमूत्र की खरीदी की गयी। इन गौमूत्र से बनाए गये कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और वृद्धिवर्धक जीवामृत की बिक्री से महिला स्व सहायता समूहों को 22.43 लाख रूपए की आय हुई।

दफ्तर-स्कूल पर चढ़ेगा अब गोबर से बना नेचुरल पेंट

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी शासकीय विभागों, निगम-मंडलों एवं स्थानीय निकायों में भवनों के रंग-रोगन के लिए गोबर पेंट का अनिवार्यतः उपयोग करने के निर्देश दिये हैं। इस संदर्भ में ने मुख्य सचिव को सभी विभागों, निगम-मंडलों और स्थानीय निकायों को भवनों के रंगरोगन के लिए गोबर पेंट का उपयोग अनिवार्यतः करने के निर्देश जारी करने को कहा है। श्री बघेल ने कहा है कि गोबर पेंट का उपयोग ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा।

इस तरह से तैयार होता है नेचुरल पेंट

विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह विधि दो दिन पुराने गोबर से होती है सबसे पहले गोबर को एक मिक्सिंग टैंक में डाला जाता है और उसमें बराबर मात्रा में पानी डाला जाता है पानी डालने के बाद मिक्सिंग टैंक में एजिटेटर लगा होता है यह एजिटेटर तब तक चलाते हैं जब तक गाय का गोबर बिल्कुल पेस्ट के समान ना हो जाए। इस पेस्ट को पंप के माध्यम से आगे टीडीआर मशीन में भेजा जाता है, जहां पर यह बिल्कुल बारीक पीसकर आगे ब्लीचिंग टैंक में भेजा जाता है। यहां इसे 100 डिग्री तक गर्म किया जाता है और इसमें हाइड्रोजन पराक्साइड एवं कास्टिक सोडा मिलाया जाता है जिससे गोबर का रंग बदल जाता है एवं उसकी सारी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं। गोबर से मिले उक्त स्लरी को पेंट बनाने के अगले चरण में बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है, बाद इसके बाद इसे अन्य सामग्रियों पीगमेंट, स्क्सटेंडर, ब्लाइंडर, फिलर के साथ मिलाकर हाई स्पीड डिस प्रेशर मशीन में 3 से 4 घंटे तक अलग अलग आरपीएम में मिलाया जाता है इसके पश्चात प्राकृतिक पेंट बनकर तैयार हो जाता है। यह अच्छी पैकेंिजंग की पश्चात बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाती है।  उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य के 75 गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट एवं पुट्टी निर्माण की इकाईयां तेजी से स्थापित की जा रही है। इन इकाईयों के पूर्ण होने पर प्रतिदिन 50 लीटर तथा साल भर में 37 लाख 50 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होगा।

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