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ये दिग्गज नहीं बचा पाए अपनी सीट …

रायपुर 3 दिसंबर 2023 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Assembly Elections) में नतीजे अब साफ हो चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) राज्य में भारी बहुमत से सत्ता में वापसी कर रही है. खबर लिखे जाने तक बीजेपी 126 सीटों पर जीत दर्ज चुकी है. और 38 सीट पर आगे चल रही है. यानी पार्टी को कुल 164 सीट मिलने की उम्मीद है. इस बड़ी जीत के बीच प्रदेश की कुछ हाई प्रोफाइल सीटें भी हैं जिनपर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी खूब चर्चा में रहे.

सबसे पहले बात राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की. अपने भाषणों और बयानों से अक्सर चर्चा में रहते हैं. अपनी परंपरागत सीट दतिया से लड़ रहे नरोत्तम मिश्रा हार गए हैं. कांग्रेस के राजेन्द्र भारती इस सीट पर साढ़े सात हजार वोट से आगे चल रहे हैं. नरोत्तम मिश्रा साल 2008 से ही इस सीट से विधायक हैं.

एक और सीट है निवास. मंडला जिले में पड़ती है. यहां से केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को उतारा था. लेकिन 9,723 वोट से हार गए. यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी चैन सिंह बरखड़े को जीत मिली है.

एक और हॉट सीट है दिमनी. यहां से भाजपा ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा था. तोमर ने 24,461 वोट से जीत दर्ज कर ली है. यहां से बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार बलवीर सिंह दंडोतिया ने शुरुआती काउंटिंग में कड़ी टक्कर दी. लेकिन आखिर में परिणाम तोमर के पाले में गया. दिमनी से कांग्रेस रवीन्द्र सिंह तोमर भिडोसा तीसरे स्थान पर रह गए.

ऐसी ही सीट है राउ. इंदौर जिले में पड़ती है. यहां से कांग्रेस पार्टी से चुनावी मैदान में थे जितेन्द्र पटवारी उर्फ जीतू पटवारी. भाजपा के मधु वर्मा ने उन्हें 35,522 वोटों से हरा दिया. जीतू अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव हैं. और मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी.

एक सीट है सतना की. बीजेपी के गणेश सिंह सतना से लगातार चार बार से लोकसभा सांसद हैं. लेकिन इस बार उन्हें विधायकी का टिकट दिया गया. कांग्रेस प्रत्याशी डब्बू सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा उनसे 4 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं.

साल 2018 में बीजेपी सत्ता से बाहर हुई थी. 109 सीटें मिली. लेकिन वोट परसेंट कांग्रेस से ज्यादा रहा था. वोट परसेंट 41.02 था. जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिली और वोट परसेंट 40.89 फीसदी. कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार भी बनाई. लेकिन विधायकों के बागी होने के बाद सरकार गिर गई और बीजेपी वापस सत्ता में आ गई थी.

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