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….तो क्या खत्म हो जायेगा सहायक शिक्षकों का आंदोलन ?…ड्राफ्ट वायरल होने के बाद सहायक शिक्षकों में बड़ा फुट…..नेतृत्व पर लगा रहे हैं गंभीर आरोप….इन सवालों पर आज अपने ही नेताओं को घेरने की तैयारी

रायपुर 26 दिसंबर 2021। ….तो क्या सहायक शिक्षकों का आंदोलन खत्म हो जायेगा ?…. क्या सहायक शिक्षकों में फूट पड़ गयी है ?…. क्या अब 2012 के बाद के सहायक शिक्षक आंदोलन के साथ नहीं होंगे ? ….कल रात से सहायक शिक्षकों के बीच भगदड़ की स्थिति हो गयी है। वेतन गणना पत्रक का ड्राफ्ट सामने आने के बाद से अचानक से सहायक शिक्षकों का आंदोलन दो खेमे में बंट गया। जो सहायक शिक्षकों एक जुटता की बात कर रहे थे, वो अब अपने ही नेतृत्व पर सवालों में घेर रहे हैं। यही नहीं उन्हें दगाबाज, दलाल, बिकाऊ जैसे शब्दों से संबोधित कर रहे हैं। माना जा रहा है कि आज से कुछ देर बार धरनास्थल पर जब सहायक शिक्षकों का हुजूम उमड़ेगा तो धरनास्थल पर जमकर हंगामा हो सकता है।

हालांकि शुरुआती वक्त में जब ड्राफ्ट वायरल हुआ था, तो ये दावा किया जाने लगा कि ये ड्राफ्ट सरकार को नहीं सौंपा गया है, बल्कि ये एक सामान्य कैलकुलेशन है। लेकिन इसी बीच फेडरेशन के अध्यक्ष मनीष मिश्रा का एक आडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो गया, जिसमें वो ये कहते हुए सुनाई दिये कि 10 साल के बाद कोई भी शिक्षक खुद 4200 के ग्रेड पे पर आ जायेगा। इस आडिय़ो के बाद से ही मामला गरमा गया।

इधर, एक खेमा इस आंदोलन को लेकर कलेक्टरेट गार्डेन में बैठक की भी बात कर रहा है। कल सुबह से ही सहायक शिक्षकों का आंदोलन दिशाहीन दिख रहा है। दोपहर में कुछ शिक्षकों ने प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला पर निशाने पर लेने की कोशिश की और उन्हें निजी तौर पर हमले करने शुरू किये। दो देर शाम वेतन गणना पत्रक का ड्राफ्ट सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद खुद फेडरेशन के प्रांतीय पदाधिकारी ही सवालों के घेरे में आ गये।

सबसे ज्यादा बवाल 2012 के बाद नियुक्त हुए शिक्षकों के 2800 के ग्रेड पे को लेकर मचा है। सवाल ये उठ रहा है कि सरकार ने जब सभी के लिए 4200 का ग्रेड पे का कैलकुलेशन करके 1600 करोड़ का बजट बना रखा था, तो फिर फेडरेशन ने खुद से वर्षबंधन कर 2012 के बाद वालों के लिए 2800 का ग्रेड पे क्यों रखा। जो फेडरेशन 4200 से कम ग्रेड पे पर झुकने को तैयार नहीं थी, उसने खुद से 2800 का ग्रेड पे का प्रस्ताव क्यों दिया।

सवाल संख्या को लेकर भी है। फेडरेशन का दावा रहा है कि उनके पास 1 लाख 9 हजार सहायक शिक्षक हैं तो फिर 71 हजार का ही आंकड़ा सरकार के पास क्यों दिया गया, बाकि के 38 हजार सहायक शिक्षक क्यों छोड़ दिये गये। अगर प्रमोशन पाने वाले सहायक शिक्षकों को इससे अलग रखा गया है तो फिर वेतन गणना के ड्राफ्ट में 1998 वाले शिक्षकों की संख्या क्यों जोड़ी गयी है। अगर वो सभी प्रमोशन की जद में आ रहे हैं तो फिर उन्हें वेतन गणना ड्राफ्ट से अलग करना चाहिये था, लेकिन उनकी संख्या ड्राफ्ट में दिखायी, ऐसे में 1 लाख 9 हजार और 71 हजार का आंकड़ा समझ से परे हैं।

अब ये नासमझी है या फिर जानबूझकर रणनीतिक तौर पर 2012 वालों को अलग करने की कोशिश, लेकिन इतना तो तय है कि सहायक शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा है। सोशल ग्रुप में हजारों-लाखों की संख्या में सहायक शिक्षकों ना सिर्फ अपनी भड़ास निकाल रहे हैं, बल्कि कुछ सहायक शिक्षक तो हड़ताल से वापस होने की अपील और ठगे जाने का आरोप भी लगा रहे हैं।

दरअसल जो कैलकुलेशन किया गया है कि उसके मुताबिक 10 साल पूरा होने के बाद सहायक सिक्षक खुद ब खुद 2800 से 4200 के ग्रेड पे में चले आयेंगे। लिहाजा ये पूरा फार्मूला क्रमोन्नति का है, जिसमें 10 साल के बाद नया पे बैंड मिल जाता है। ऐसे में जब कुछ संगठनों ने क्रमोन्नति की बात कही थी, तो फेडरेशन ने एक सिरे से पूरी बातों को खारिज कर दिया था कि क्रमोन्नति हल नहीं हो सकता,। ऐसे में अब 2800 से 4200 के ग्रेड पे पर जाने का जो रास्ता तैयार किया गया है, वो क्रमोन्नति का ही दिख रहा है। तो तब का इनकार आज हां में कैसे बदल गया है।

कुछ शिक्षक तो ये भी लिख रहे है कि सहायक शिक्षक नेताओं ने सिर्फ अपना फायदा देखा, जबकि 2012 के बाद लोगों को छोड़ दिया गया। हालांकि इनसब के बीच आज आंदोलन में बवाल मचना तय है। कई लोग सिर्फ अपने नेताओं को घेरने के मकसद से ही रायपुर आज पहुंच रहे हैं, ताकि पूरी-पूरी बातें साफ हो सके।

 

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