IPS का माटी प्रेम : पुलिसिंग से वक्त मिला तो अपने खेत में पहुंचे IPS भोजराम… धान की कटाई और मिसाई में बंटाया हाथ… देशीपन वाला अंदाज खूब हो रहा वायरल
रायपुर 4 दिसंबर 2022। मातृभूमि की माटी में कुछ महक तो ऐसी होती है…कि आप उस ओर खींचे चले आते हैं। फिर चाहे वो अंदाज प्रशासन के सबसे ऊंचे पायदान पर खड़े IAS की हो…या फिर बात खाकी में सजी IPS की रौबदार वर्दी की….जब भी वक्त मिलता है, आम तो छोड़िये खास लोग भी खुद को उस माटी से जोड़ने का मौका नहीं चुकते। एक ऐसी ही तस्वीर सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से वायरल हो रही है। ये तस्वीर है IPS भोजराम पटेल की। हमेशा अपने देशीपन वाले अंदाज की वजह से IPS भोजराम चर्चाओं में रहते हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा में बात करना और छत्तीसगढ़ी परंपरा, संस्कृति और रहन सहन में ढालना वो देश के सबसे बड़े इम्तिहान को पास कर IPS बनने के बाद भी नहीं भूले हैं।
IPS भोजराम पटेल इन दिनों अपने गांव रायगढ़ जिले के तारापुर में है। जहां, IPS भोजराम अपने खेतों में अन्य मजदूरों संग धान की कटाई और मिंजाई में व्यस्त हैं। एक तस्वीर में वो अपने खेत की माटी को सर झुकाकर प्रणाम करते और दूसरी तस्वीर में धान की मिंजाई करते दिख रहे हैं। उन्होंने अपनी इस तस्वीर को ट्वीट कर लिखा है…
ये कोई पहला मौका नहीं है जब आईपीएस का ये साधारण देसी अंदाज दिखा है। जब भी उन्हें पुलिसिंग की गहमागहमी से फुर्सत मिलती है, वो अपने गांव और अपनी माटी की तरफ चल पड़ते हैं। 2013 बैच के IPS भोजराम पटेल को हाल ही में राज्य सरकार ने महासमुंद SP से बीजापुर तबादला किया है। बीजापुर बटालियन में ज्वाइन के बाद वो अपने गांव पहुंचे हैं, जहां की तस्वीरें वायरल हो रही है।
संघर्ष से सफलता तक : मिसाल हैं भोजराम पटेल
IPS भोजराम पटेल रायगढ़ जिले के तारापुर गांव के रहने वाले है। भोजराम पटेल की जिंदगी गुरबत (बेहद गरीबी) में गुजरी है। घर में पढ़ाई का कोई खास माहौल नहीं था, पिता-मां ने गरीबी के बावजूद भोजराम की पढ़ाई में कोई कसर नहीं रखी। पिता महेश राम पटेल सिर्फ प्राइमरी पास तो मां लीलावती पटेल निरक्षर थी। लेकिन होनहारों के आगे मुश्किलों का पहाड़ कहां टिकता है। पहले तो भोजराम पटेल शिक्षाकर्मी बने और शिक्षक की नौकरी करते-करते UPSC की तैयारी की। भोजराम पटेल अपने बचपन में गरीबी के किस्से कहते-कहते आज भी भावुक हो जाते हैं। जब घर पर दो जून की रोटी ठीक से नसीब नहीं होती थी। उन्होंने अपने ही कई इंटरव्यू में कहा है कि मां कम खाने के लिए मिर्च और नमक खाने में ज्यादा डालती थी, ताकि हम कम खा सकें। जीविकोपार्जन के लिए दो बीघा जमीन के अतिरिक्त और कुछ नहीं। कॉलेज की पढ़ाई के बाद शिक्षाकर्मी वर्ग-दो के पद पर चयन हुआ। तब शिक्षक बनकर उन्होंने मिडिल स्कूल में अध्यापन किया और स्कूल से अवकाश के बाद सिविल सेवा परीक्षा की पढ़ाई पर फोकस किया और फिर 2013 बैच के IPS बनकर छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा कर रहे हैं।