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शिक्षा विभाग ब्रेकिंग: निलंबित चारों संयुक्त संचालकों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, सस्पेंशन किया रद्द, दिया ये निर्देश, पढ़े

रायपुर 20 दिसंबर 2023। प्रमोशन संशोधन के मामले में हाईकोर्ट से निलंबित संयुक्त संचालकों को बड़ी राहत मिल गयी है। कोर्ट ने सभी निलंबित संयुक्त संचालकों का निलंबन रद्द करते हुए उन्हें पुराने जगहों पर यथावत कर दिया है। दरअसल अगस्त महीने में शिक्षा विभाग ने सहायक शिक्षकों के प्रमोशन संशोधन मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए चार संयुक्त संचालक सहित 10 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था। शिक्षा विभाग की दलील थी कि संयुक्त संचालकों को प्रमोशन संशोधन का आदेश ही नहीं था। अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर भ्रष्टाचार करने के लिए इन अधिकारियों ने सहायक शिक्षकों की पोस्टिंग में संशोधन किया। इस मामले में कुछ शिक्षकों ने भी शिकायत की थी, जिसके बाद तत्कालीन शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे ने चार संयुक्त संचालक, 1 डीईओ समेत 10 अधिकारियों को सस्पेंड करने का आदेश दिया था। किसी भी मामले में प्रदेश में ये अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई थी।

हालांकि नियमानुसार किसी भी अधिकारी-कर्मचारियों को सस्पेंड करने के 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दायर करना होता है। इस बीच अगर अगर सस्पेंशन को बढ़ाने की नौबत आती है, तो कारण सहित आरोप पत्र दोबारा से जारी करना पड़ता है। लिहाजा विभागीय कमियों को आधार बनाकर सरगुजा के संयुक्त संचालक हेमंत उपाध्याय, रायपुर के जेडी के कुमार, बिलासपुर के जेडी एसके प्रसाद और दुर्ग के जेडी जीके मरकाम ने कोर्ट में याचिका दायर की। इस मामले में इसी महीने 12 दिसंबर, 13 दिसंबर और फिर 14 दिसंबर को सुनवाई हुई।

कोर्ट ने आज इस संबंध में फैसला दिया है। कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए संयुक्त संचालक हेमंत उपाध्याय ने बताया कि हमने याचिका दायर की थी, याचिका पर फैसला आया है। हमें कोर्ट ने हमारा सस्पेंशन आर्डर निरस्त किया है और वहीं जो उन्होंने सस्पेंशन को एक्सटेंड करने का आदेश दिया था, उसे भी निरस्त किया है। हमें पुराने जगह पर जाकर ज्वाइन करने का कोर्ट ने आदेश दिया है, कोर्ट के निर्देश के अनुरूप हम काम करेंगे। वहीं संयुक्त संचालक एसके प्रसाद ने भी कहा कि हमने सभी निलंबित संयुक्त संचालक के साथ ही याचिका दायर की थी, आज फैसला पोस्ट हुआ है। जो भी निर्देश है, उसके अनुरूप अब हमें काम करना है। खुशी है कि कोर्ट ने हमारी दलील को सही माना है और हमारे पक्ष में फैसला दिया है।

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