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“शिक्षा विभाग का अनोखा कारनामा”जिस डीईओ पर लगे गंभीर आरोप, उसी के प्रतिवेदन पर शिकायतकर्ता शिक्षक निलंबित

डीईओ के खिलाफ प्रस्तावित जांच का अता- पता नहीं, संयुक्त शिक्षक संघ ने की निंदा, कहा – सरकार को कमजोर कर रहे हैं ऐसे अधिकारी

सारंगढ़ 31 मई 2023। DEO के खिलाफ शिकायत करने वाले शिक्षक को ही सस्पेंड करने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। शिक्षा विभाग की कार्रवाई पर अब संयुक्त शिक्षक संघ ने सवाल खड़ा लिया है। संयुक्त शिक्षक संघ ने बयान जारी कर विभाग की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया है। संयुक्त शिक्षक संघ ने कहा है कि शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों ने सरकार को बदनाम और कमजोर करने का ठेका ले लिया है। जिनका कारनामा नवगठित जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ में भी दिखा है। यहां की प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी डेजीरानी जांगड़े के भ्रष्ट रवैये, अभद्रता पूर्ण व्यवहार और शिक्षकों को लगातार प्रताड़ित करने आदि के मसले पर छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ के जिलाध्यक्ष चोख लाल पटेल की अगुवाई में 15 मार्च को जिले के हजारों शिक्षकों ने डीईओ के विरुद्ध धरना देकर, रैली निकालकर कलेक्टर फरिहा आलम सिद्दीकी को 12 बिंदुओ के अनियमितता का ज्ञापन सौंपकर डीईओ के विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाही करते हुए हटाने की मांग की था।

तब कलेक्टर द्वारा अपर कलेक्टर भागवत जयसवाल जी के अगुवाई में एक जांच टीम का गठन करते हुए नियमानुसार कार्यवाही का भरोसा दिया था। मामला तब गंभीर हुआ जब एक अनुसूचित जनजाति संवर्ग की विकलांग महिला शिक्षिका को चिकित्सीय अवकाश के पश्चात कार्यभार ग्रहण करने के लिए डीईओ द्वारा कई दिनों तक घुमाया जाता रहा और भारी-भरकम राशि की मांग किया गया। जब यह बात आम शिक्षकों और संघ तक पहुंची! तो डीईओ के कृत्य से पहले से परेशान जिले के शिक्षको को आंदोलन करने पर विवश होना पड़ा। इस मसले पर संघ द्वारा प्रांताध्यक्ष केदार जैन की अगुवाई में प्रदेश के शिक्षामंत्री, शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एवं डीपीआई के संचालक को डीईओ के विरुद्ध तथ्यपूर्ण शिकायत का ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही का मांग की गई। जिस पर डीपीआई द्वारा संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर को बिंदुवार जांच करते हुए जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया गया। जिसे जेडी द्वारा स्वयं जांच ना करते हुए डीईओ रायगढ़ को जांच का निर्देश दे दिया, जो समकक्ष अधिकारी हैं। पर अब 3 माह होने जा रहा है , अभी तक कलेक्टर या डीपीआई का जांच रिपोर्ट सामने नहीं आया है या यू कहे की जांच का अता-पता तक नही हैं।


हजारों शिक्षकों को न्याय तो नहीं मिला लेकिन उनकी आवाज उठाने वाले शिक्षक चोख लाल पटेल के विरुद्ध डीईओ ने षड्यंत्रपूर्वक तथ्यहीन जाँच प्रतिवेदन भेजा जिसके आधार पर संयुक्त संचालक द्वारा शिक्षक को निलंबित कर दिया गया। शिकायतकर्ता के विरुद्ध आरोपी डीईओ के प्रतिवेदन के आधार पर निलंबन की कार्यवाही स्थापित सर्वमान्य न्याय सिद्धांत और विधि के विपरीत है। क्योंकि यदि दो पक्षों के बीच विवाद या शिकायत है तो तीसरे सक्षम व्यक्ति द्वारा ही दोनो का पक्ष सुनकर तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष तय करना, सर्वमान्य नियम है।जिसका नाममात्र भी पालन नहीं किया गया है। इसमें आरोपी डीईओ ने स्वयं को अनुसूचित जाति की महिला अधिकारी होने का हवाला देकर प्रतिवेदन भेजा है।जबकि ऐसा कोई भी कृत्य नही हुआ है और इस गंभीर मामले में जेडी द्वारा जांच कराया जाना भी उचित नहीं समझा गया और आरोपी डीईओ की बात को सत्य मानकर शिक्षक को बिना नोटिस जारी किए एकतरफा कार्यवाही कर दिया गया। रैली और धरना के दौरान प्रजातांत्रिक अधिकार के तहत जैसा अमूमन नारे लगते है वैसा ही हुआ है।जिसे आधार बनाया जाना अनुचित है ।


संघ के प्रांताध्यक्ष केदार जैन ने इस एकतरफा निलंबन की कड़ी शब्दों में निंदा की है! इसे प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के विपरीत बताते हुए कहा है कि शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी लगातार सरकार को बदनाम करने और सरकार के विरुद्ध आम शिक्षकों के मन में नकारात्मक भाव भरने का कार्य कर रहे हैं! सरकार को चाहिए कि ऐसे अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करें नहीं तो अंत में इसका खामियाजा सरकार को ही भुगतना पड़ सकता है। इस मामले में जल्द ही मा. मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, प्रमुख सचिव से मिलकर न्याय की मांग की जाएगी। संयुक्त शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष सहित प्रदेश अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ ममता खालसा, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष ओमप्रकाश बघेल, उप प्रांताध्यक्ष अर्जुन रत्नाकर, गिरजा शंकर शुक्ला, माया सिंह, सोहन यादव नरोत्तम चौधरी, प्रांतीय सचिव रूपानंद पटेल, प्रांतीय कोषाध्यक्ष ताराचंद जयसवाल, सुभाष शर्मा विजय राव, शहादत अली आदि ने विधि विपरीत किए गए निलंबन को तत्काल निरस्त कर डीईओ के विरुद्ध जांच व कार्यवाही की मांग की है। अन्यथा की स्थिति में आगे संघ इसका कड़ा प्रतिकार करते हुए धरना आंदोलन और घेराव करने पर विवश होगा। जिसकी समस्त जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी। यह जानकारी संघ के प्रांतीय मीडिया प्रभारी अमित दुबे द्वारा प्रदान किया गया।

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