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ना मिला फंड…और ना प्रश्न पत्र की हार्डकॉपी ! …..शिक्षक धर्मसंकट में, कैसे करायें आकलन परीक्षा ?…ब्लैक बोर्ड पर सवाल लिख परीक्षा लेने की मजबूरी….NW NEWS 24 से बोले DPI… स्कूल ही पहले से..

रायपुर 24 सितंबर 2022। सोमवार से स्कूलों में त्रैमासिक परीक्षा होनी है। प्रश्न पत्र की साफ्ट कॉपी स्कूलों में भेज दी गयी है, लेकिन उस साफ्ट कॉपी के जरिये बच्चों की परीक्षा कैसे ली जायेगी, इसने स्कूलों को धर्मसंकट में डाल दिया है। कई DEO की तरफ से निर्देश दिया गया है कि स्कूलों में ब्लैकबोर्ड में सवाल लिखकर बच्चों से हल कराया जाये, लेकिन सवालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि लिखने में ही घंटों गुजर जायेगा। इधर विभाग के रवैये से नाराज शिक्षकों का कहना है कि समझ नहीं आ रहा विभाग बच्चों की परीक्षा लेना चाह रहा है या फिर शिक्षकों की? …इस मामले में NW न्यूज 24 ने जब DPI सुनील जैन से बात की, तो उन्होंने स्कूलों में मासिक, त्रैमासिक, छमाही और वार्षिक परीक्षा पूर्व निर्धारित है। पूर्व से ही स्कूल की तरफ से ही प्रश्न पत्र की व्यवस्था की जाती है। हर बार स्कूलों को साफ्ट कॉपी ही दी जाती है, जिसके बाद स्कूल अपने स्तर से प्रश्न पत्र की व्यवस्था करता है।

हालांकि शिक्षकों का कहना है कि ये सही है कि हर बार स्कूल की तरफ से प्रश्न पत्र की व्यवस्था की जाती है, लेकिन दिक्कत ये है कि स्कूलों को मिलने वाला समग्र शिक्षा से वार्षिक अनुदान इस बार मिला नहीं है, लिहाजा स्कूलों को अपने स्तर से प्रश्न पत्र की व्यवस्था में दिक्कत आ रही है। दरअसल राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, रायपुर द्वारा त्रैमासिक आकलन का प्रश्न पत्र तैयार तो कराया गया है। प्रश्न पत्र हार्ड कापी में उपलब्ध नहीं कराया गया है, मेल के जरिये प्रश्न पत्र भेजा गया। ऐसे में सरकारी स्कूल के शिक्षक परीक्षा बोर्ड पर लेने विवश हैं क्योंकि उनके पास फंड का अभाव है और परीक्षा के लिए कोई प्रश्न पत्र हार्ड कापी में उपलब्ध नहीं कराया गया है। SCERT द्वारा उपलब्ध कराया गया प्रश्न पत्र उच्च गुणवत्ता के हैं लेकिन प्रश्न पत्र हार्ड कापी में न होने से बार- बार शिक्षकों को बोर्ड पर लिखकर पेपर लेना पड़ता है जिससे 2 व 2:30 घंटे का होने वाला पेपर 3 से 4 घंटे ले लेता है।

बोर्ड पर परीक्षा लेने से शिक्षकों के मन में भारी आक्रोश

त्रैमासिक आकलन के लिए हार्ड कॉपी में प्रश्न पत्र उपलब्ध न कराने से छत्तीसगढ़ के प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों में भारी आक्रोश है लेकिन उनका यह आक्रोश छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चों के लिए काफी नहीं है क्योंकि उनके इस आक्रोश से प्रश्न पत्र हार्ड कापी में उपलब्ध नहीं हो सकता। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपने ही कापी में प्रश्नों के उत्तर लिखकर जमा करते हैं। जिसका कोई सूध लेने वाला नहीं है। शिक्षक बोर्ड पर बार – बार प्रश्न लिखते जाते हैं और बच्चों के लिखते तक इंतजार करते हैं और जब बच्चे प्रश्न उतार लेते हैं तब शिक्षक बोर्ड पर प्रश्नों को दोबारा लिखते हैं। यह क्रम चलते रहता है। इसे लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश है क्योंकि शिक्षकों का मानना है कि परीक्षा, परीक्षा जैसी होनी चाहिए लेकिन इस ओर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान नहीं जा रहा है।

मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से करेंगे शिकायत

छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक संघ द्वारा शिक्षा विभाग के इस भयानक सच की शिकायत बहुत ही जल्द मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से की जायेगी क्योंकि सरकारी स्कूलों में बच्चों के साथ परीक्षा के नाम पर खाना पूर्ति हो रहा है जिसे सिस्टमेटिक करना बहुत ही जरूरी है। प्रधान पाठक संघ सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग करेगा क्योंकि पिछले 2-3 वर्षों से परीक्षा बोर्ड पर लेने का चलन चल रहा है जो कि उचित नहीं।

मामले पर DPI सुनील जैन बोले

इस मामले में जब NW न्यूज ने डीपीआई सुनील जैन से बात की, तो उन्होंने कहा कि परीक्षा का संदर्भित निर्देश पूर्व का है। पहले से ही इस तरह का निर्देश है कि स्कूल ही प्रश्न पत्र की व्यवस्था करता है। जहां तक हार्ड कॉपी में प्रश्न पत्र का सवाल है और फंड नहीं होने की बात है तो स्कूलों को ये अधिकार होता है कि फंड आने पर वो उसमें से राशि ले लें। स्कूलों में जहां तक परीक्षा का सवाल है कि कोरोना काल में पढ़ाई में गुणवत्ता प्रभावित हुई है, आकलन परीक्षा एक माध्यम है, जिसके जरिये हम बच्चों की गुणवत्ता की परख करते हैं।

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